एक दरख्शां तो है
क्या फ़र्क़ पड़ता है
वो मेरी जां हो कि ना हो
एक दरख्शां तो है
चलो उस पे मर के देखते हैं
होश गंवा के देखते हैं
थोड़ा पर जला के देखते हैं
वो मेरा यार हो कि ना हो
हुस्न ए इन्सां तो है
एक दरख्शां तो है
क्या फ़र्क़ पड़ता है
वो मेरी जां हो कि ना हो
चलो इश्क़ कर के देखते हैं
तड़प के देखते हैं
थोड़ा महक के देखते हैं
वो मेरी हम सफर हो कि ना हो
ज़रा मेहरबां तो है
एक दरख्शां तो है
क्या फ़र्क़ पड़ता है
वो मेरी जां हो कि ना हो
चलो बात करके देखते हैं
हाल ए दिल बता के देखते हैं
थोड़ा सता के देखते हैं
वो मेरी जानां हो कि ना हो
सबब ए दिल ए परेशां तो है
एक दरख्शां तो है
क्या फ़र्क़ पड़ता है
वो मेरी जां हो कि ना हो
चलो कुछ शेर कह के देखते हैं
अफसाना सुना के देखते हैं
थोड़ा नज़्म बना के देखते हैं
वो मेरी कहकशां हो कि ना हो
असरार ए ज़ुबां तो है
एक दरख्शां तो है
असरारुल हक़ जीलानी
तारीख : 22 दिसम्बर 2014
दरख्शां : Dazzling - extremely bright, especially so as to blind the eyes temporarily, beautiful
कहकशां : galaxy
असरार : mystery, secret
No comments:
Post a Comment