बाल कविता
मेरा हाथ है कितना प्यारा
छोटा छोटा न्यारा न्यारा
हम इससे हैं खाना खाते
पानी पीते इसी हाथ से
नाख़ून कभी ना बढ़ने देते
साफ सफाई का ध्यान रखते
माँगना हम ने छोड़ दिया है
है पढ़ना लिखना इसी हाथ से
चिड़िया मेरी दोस्त है
चंदा मेरा मामा है
चींटी मेरी नानी है
पेड़ मेरा छाया है
नहीं मारना चींटी को
चंदा ने बताया है
नहीं मारना चिड़िया को
पेड़ ने सिखाया है
ईंट पत्थर बालू कंकड़
नहीं छुएँगे हम कभी
माता-पिता जो करते काम
नहीं करेंगे हम कभी
मज़दूरी कोई करवाएगा
नहीं करेंगे हम कभी
बालू कोई ढुलवाएगा
नहीं ढोएंगे हम कभी
बिना पढ़े बिना लिखे
नहीं सोएंगे हम कभी
शौक से स्कूल जाना
नहीं छोड़ेंगे हम कभी
स्कूल जाना मेरा हक़
कामो हम नहीं जाएंगे
पढ़ना लिखना मेरा काम
अनपढ़ बन कर नहीं रहेंगे
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