मेरी साँसें पकने लगीं हैं
आह गिरने लगीं हैं कट के
मोहब्बत के दरख़्त से
राहतें झड़ने लगीं हैं मिट के
सूखा जाता है ख़्वाब मेरा
ये कौन सी चाहत की तपिश है
जो झुलसा दिया है हर सब्ज़ा मेरा
इश्क़ तो चखा भी नहीं था मैंने
बस ख़्वाब देखा था
और काट दी गई सारी डालियाँ
चाँद तो अाया भी न था छत पे
बस बुलाया था
सूरज ने जला दिया आवाज़ मेरी
उसकी साँस तक पहुँचने से पहले
अभी तो पर भी न लगाया था मैं ने
बस चाहा था कि गढ़ दुँगा
चाँद तारे उसके लिए
मगर किसी ने आसमाँ जला दिया
कौशा
कहाँ तक रखता छुपा कर तुम को
ज़मीन हूँ लफ़्ज़ों की मैं
बीज छुपाऊँगा
पौदा तो निकलेगा ही
सूखी जाती है हर शाख़ मेरी
अब साँस दो कि ज़िंदा रहूँ
आह गिरने लगीं हैं कट के
मोहब्बत के दरख़्त से
राहतें झड़ने लगीं हैं मिट के
सूखा जाता है ख़्वाब मेरा
ये कौन सी चाहत की तपिश है
जो झुलसा दिया है हर सब्ज़ा मेरा
इश्क़ तो चखा भी नहीं था मैंने
बस ख़्वाब देखा था
और काट दी गई सारी डालियाँ
चाँद तो अाया भी न था छत पे
बस बुलाया था
सूरज ने जला दिया आवाज़ मेरी
उसकी साँस तक पहुँचने से पहले
अभी तो पर भी न लगाया था मैं ने
बस चाहा था कि गढ़ दुँगा
चाँद तारे उसके लिए
मगर किसी ने आसमाँ जला दिया
कौशा
कहाँ तक रखता छुपा कर तुम को
ज़मीन हूँ लफ़्ज़ों की मैं
बीज छुपाऊँगा
पौदा तो निकलेगा ही
सूखी जाती है हर शाख़ मेरी
अब साँस दो कि ज़िंदा रहूँ
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